छत्तीसगढ़ में भांग की खेती को झटका: हाई कोर्ट ने याचिका की खारिज, बढ़ते नशे पर जताई चिंता!
बिलासपुर, 9 जुलाई 2025 – छत्तीसगढ़ में व्यावसायिक भांग की खेती की वकालत करने वाली एक जनहित याचिका (PIL) को आज छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह फैसला उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका है जो राज्य में भांग की खेती को वैध बनाने की उम्मीद कर रहे थे।

हाई कोर्ट का दो टूक फैसला
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु की डिवीजन बेंच ने डॉ. सचिन अशोक काले द्वारा दायर इस याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि कोर्ट राज्य की विधायी और कार्यकारी नीति में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि यह सरकार की निर्वाचित शाखाओं का विशेषाधिकार है कि वे ऐसी नीतियां बनाएं या न बनाएं।
जनहित याचिका की जरूरत पर सवाल
कोर्ट ने जनहित याचिकाओं की ‘जरूरत पर भी जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिकाएं वास्तव में सार्वजनिक सरोकार के मुद्दों को उठाएं, न कि व्यक्तिगत हितों को साधने का जरिया बनें। अदालत इस बात से संतुष्ट नहीं थी कि यह याचिका वास्तव में जनहित में थी।
बढ़ते नशे और NDPS अधिनियम की पेचीदगियां
हाई कोर्ट ने भांग की औद्योगिक खेती की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए राज्य में बढ़ते मादक द्रव्यों के सेवन पर भी चिंता जताई। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम, 1985, बागवानी और औद्योगिक उपयोग के लिए भांग की बड़े पैमाने पर खेती की अनुमति देता है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए नियम नहीं बनाए हैं।
हालांकि, कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि NDPS अधिनियम के तहत भांग की खेती आमतौर पर निषिद्ध है। केवल कुछ विशिष्ट उद्देश्यों और सरकारी प्राधिकरण के साथ ही इसकी अनुमति मिल सकती है।
‘व्यक्तिगत लाभ’ की आशंका
अदालत ने याचिकाकर्ता पर भी टिप्पणी करते हुए आशंका जताई कि उनके “व्यक्तिगत लाभ, निजी मकसद और अनुचित मकसद” हो सकते हैं। कोर्ट ने इसे भांग उत्पादों के व्यावसायिक लेनदेन की अनुमति प्राप्त करने का एक प्रयास बताया।
यह फैसला छत्तीसगढ़ में भांग की खेती के भविष्य पर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है और दर्शाता है कि सरकार और न्यायपालिका दोनों ही इस संवेदनशील मुद्दे पर सतर्क रुख अपना रहे हैं।