
महानदी जल बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच चल रहा दशकों पुराना विवाद अब समाधान की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण (MWDT) ने दोनों राज्यों को 6 सितंबर 2025 तक समझौता वार्ता की प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर सहमति जताई है।
क्या है पूरा मामला?
महानदी, जो छत्तीसगढ़ से निकलकर ओडिशा में बहती है, के पानी के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों में लंबे समय से तनाव चल रहा है। ओडिशा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ द्वारा बनाए गए बांधों और बैराजों से नदी का प्रवाह असंतुलित हो गया है, जिससे राज्य के किसानों और पेयजल आपूर्ति पर बुरा असर पड़ रहा है।
हालिया घटनाक्रम: क्या हुआ अब तक?
- MWDT का निर्देश: न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों को वार्ता की प्रगति बताने को कहा है। अगर समझौता नहीं होता, तो ट्रिब्यूनल दिसंबर 2025 तक अपना फैसला सुना सकता है।
- राजनीतिक वार्ता शुरू: ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने इस मुद्दे पर बातचीत की शुरुआत की है।
- कलमा बैराज विवाद: ओडिशा ने छत्तीसगढ़ पर आरोप लगाया कि उसने बिना सूचना दिए कलमा बैराज के गेट खोल दिए, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
उड़ीसा सरकार के विपक्षी बीजू जनता दल ने इस मामले को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं। बीजद नेता नवीन पटनायक ने आरोप लगाया कि सरकार गोपनीय समझौता करने जा रही है और सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है।
क्या होगा आगे?
अगर दोनों राज्य आपसी सहमति से समाधान निकाल लेते हैं, तो MWDT का हस्तक्षेप कम हो सकता है। वरना, न्यायाधिकरण का फैसला ही अंतिम माना जाएगा।
अंतिम बात: यह मामला न सिर्फ दो राज्यों के बीच जल बंटवारे का है, बल्कि लाखों किसानों और आम लोगों की आजीविका से भी जुड़ा है। आने वाले दिनों में इसके नतीजे काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
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