कंबोडिया में साइबर ठगों पर बड़ी कार्रवाई: 105 भारतीय भी शामिल
17 देशों के 3000 से अधिक लोग गिरफ्तार

नोम पेन्ह, कंबोडिया: साइबर अपराध के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। कंबोडियाई अधिकारियों ने एक बड़े अभियान में 17 देशों के 3,075 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें 105 भारतीय नागरिक भी शामिल हैं, जिन्हें अक्सर “डिजिटल अरेस्ट” जैसे खतरनाक घोटालों में फंसाकर पीड़ितों की गाढ़ी कमाई लूटी जाती थी।
यह कार्रवाई भारत सरकार के गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से मिली विशिष्ट सूचनाओं और अनुरोधों के बाद की गई, जो इस अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम सिंडिकेट को ध्वस्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
“डिजिटल अरेस्ट” का खतरनाक जाल
इस पूरे मामले के केंद्र में “डिजिटल अरेस्ट” नामक एक नया और भयावह साइबर अपराध है। इसमें ठग खुद को पुलिस अधिकारी या सरकारी एजेंट बताकर पीड़ितों को ऑनलाइन धमकाते हैं। उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे “डिजिटल रूप से गिरफ्तार” हो गए हैं और अगर उन्होंने बताई गई रकम नहीं चुकाई तो उन्हें गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा। यह एक ऐसा मानसिक दबाव बनाता है कि कई लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई इन अपराधियों को सौंप देते हैं।
भारतीयों को बनाया जाता था निशाना और गुलाम:-
जांच से पता चला है कि कई भारतीय नागरिकों को नौकरी के आकर्षक, लेकिन झूठे वादों के साथ कंबोडिया लाया गया था। यहाँ पहुंचने के बाद, उन्हें जबरन साइबर धोखाधड़ी के इन सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था और बाहर निकलने या विरोध करने पर गंभीर परिणामों की धमकी दी जाती थी। यह आधुनिक मानव तस्करी और गुलामी का एक क्रूर उदाहरण है, जिसमें अक्सर चीनी साइबर क्राइम सिंडिकेट्स का हाथ होता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से मिली सफलता:-
गिरफ्तार किए गए 3,075 से अधिक लोगों में चीन के 1,028, वियतनाम के 693, इंडोनेशिया के 366, बांग्लादेश के 101, और पाकिस्तान के 81 नागरिक शामिल हैं। इसके अलावा थाईलैंड, कोरिया, नेपाल, मलेशिया, फिलीपींस, लाओस, रूस, नाइजीरिया और म्यांमार जैसे देशों के नागरिक भी पकड़े गए हैं। इस बड़े पैमाने की गिरफ्तारी ने साइबर अपराध के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की शक्ति को उजागर किया है।
कंबोडियाई अधिकारियों ने गिरफ्तार किए गए लोगों से लैपटॉप, मोबाइल फोन, मादक पदार्थ, फर्जी पुलिस की वर्दी और हथियार भी बरामद किए हैं, जो इस रैकेट के पैमाने और खतरों को दर्शाते हैं।
भारत के लिए गंभीर चुनौतियां
यह घटना भारत के लिए कई गंभीर खतरे पैदा करती है:
- वित्तीय नुकसान: साइबर धोखाधड़ी से भारतीय नागरिकों को हर साल हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में साइबर फ्रॉड से ₹22,845 करोड़ का नुकसान हुआ है, जो 2023 की तुलना में 206% अधिक है।
- मानव तस्करी: निर्दोष भारतीयों को जबरन इन अपराधों में धकेलना एक गंभीर मानवीय संकट है।
- डिजिटल विश्वास में कमी: ऐसे मामले डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन सेवाओं पर लोगों के विश्वास को कमजोर करते हैं, जो “डिजिटल इंडिया” के लक्ष्य के लिए बाधक है।
भारत सरकार अब गिरफ्तार किए गए 105 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए कंबोडियाई अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है। यह अभियान दुनिया भर में साइबर अपराध के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।