हमारा शिक्षा तंत्र इतना ‘आधुनिक’ हो गया है कि अब इसने योग्यता के सारे पुराने पैमानों को ‘बाउंड्री’ के बाहर फेंक दिया है। जी हां, खबर है कि हमारे सबके चहेते ‘फिनिशर’ रिंकू सिंह, जिन्हें आईपीएल क्रिकेट को छोड़कर लगातार मौका नहीं मिल पा रहा था और जो एक तरह से ‘फेल’ क्रिकेटर की श्रेणी में आ गए थे, अब सीधे उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) बनने जा रहे हैं!

यह उन लाखों छात्रों के लिए एक ‘खुशखबरी’ है, जो सालों से स्कूल और कॉलेज में माथापच्ची कर रहे हैं। अब उन्हें समझ आ जाएगा कि गणित के कठिन सवाल हल करने या विज्ञान के सिद्धांतों को रटने से कुछ नहीं होता। असली चीज़ है ‘प्रभाव’। अगर आप देश के लिए कुछ ऐसा ‘प्रभावशाली’ काम कर दें कि मीडिया में छा जाएं, तो आपकी डिग्री बस एक ‘फॉर्मेलिटी’ बन जाती है। रिंकू सिंह, जिन्होंने निजी कारणों के वजह से सिर्फ 9वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की, अब सीधे उन अधिकारियों की कुर्सी पर बैठेंगे, जो स्कूलों और शिक्षकों के भाग्य का फैसला करते हैं।
यह समझना मुश्किल है कि एक क्रिकेटर, जिसने 9वीं तक पढ़ाई की है, को सीधे शिक्षा विभाग में क्यों लाया जा रहा है, जबकि उनका उपयोग अन्य क्रिकेटरों की तरह पुलिस ,आपदा प्रबंधन, जनदर्शन जैसे फील्ड के सरकारी विभागों में कहीं अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता था। रिंकू सिंह निश्चित तौर पर एक शानदार क्रिकेटर हैं और सवाल उन पर है भी नहीं। यह सवाल है उस हुकूमत से जो ‘बेसिक शिक्षा’ के मायने बदलने वाली हैं। अब स्कूल में बच्चों को ‘क, ख, ग’ के साथ-साथ ‘स्ट्रेट ड्राइव’ और ‘हुक शॉट’ भी सिखाए जाएंगे। आखिर कौन जाने, कब कौन सा बच्चा देश के लिए ‘मेडल’ ले आए और सीधे ‘अधिकारी’ बन जाए!
तो अगली बार जब आप किसी पढ़े-लिखे बेरोजगार को नौकरी ढूंढते देखें, तो उसे रिंकू सिंह का उदाहरण देना मत भूलना।
रिंकू सिंह को उनके नए ‘करियर’ के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं! अब देखना यह है कि वह शिक्षा विभाग में भी वे उतने ही ‘चौके-छक्के’ लगाएंगे,या शिक्षा व्यवस्था क्लीन बोल्ड हो जाएगी।