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छत्तीसगढ़ में किताबों का संकट: बारकोडिंग ने बढ़ाई छात्रों की मुश्किलें, निजी स्कूलों को मिली 7 दिन की मोहलत!


रायपुर। छत्तीसगढ़ के छात्रों के लिए नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए काफी समय हो गया है, लेकिन किताबों की कमी इस साल भी एक बड़ी परेशानी बनकर उभरी है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देश पर लाई गई पारदर्शिता की नई व्यवस्था, जिसके तहत किताबों पर स्कूलवार बारकोडिंग अनिवार्य की गई है, छपाई और आपूर्ति में भारी देरी का कारण बन रही है।
सूत्रों की मानें तो, पिछले साल पाठ्यपुस्तक निगम में सामने आए करोड़ों रुपये के किताब घोटाले के बाद इस बार हर किताब पर दो बारकोड लगाए गए हैं — एक प्रिंटर की पहचान के लिए और दूसरा सीधे स्कूल की पहचान के लिए। इस अतिरिक्त प्रक्रिया ने किताबों की छपाई और उनके वितरण की गति को धीमा कर दिया है, जिसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।

पीएम श्री स्कूलों में हालात सबसे गंभीर
राज्य के कई हिस्सों में स्थिति चिंताजनक है। बलौदा बाजार जिले में 50% से अधिक प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में अब तक छात्रों के हाथों में किताबें नहीं पहुंची हैं। सबसे गंभीर स्थिति पीएम श्री स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों की है। नई शिक्षा नीति के तहत इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की किताबों की छपाई और आपूर्ति अभी तक लंबित है, जिससे यहां के छात्र बिना किताबों के ही कक्षाओं में जाने को मजबूर हैं।

केवल आश्वासन मिल रहे, समाधान नहीं!
स्कूल प्राचार्यों का कहना है कि वे लगातार पुस्तक वितरण केंद्रों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं। किताबें मिलते ही उन्हें तुरंत छात्रों तक पहुंचाने की तैयारी है, पर फिलहाल शिक्षक पुरानी किताबों और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों से पढ़ाई जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्थिति बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावकों की चिंता को और बढ़ा रही है।

परीक्षाएँ नजदीक, तैयारी अधूरी
छात्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आगामी दिनों में मासिक और त्रैमासिक (क्वार्टरली) परीक्षाएँ आयोजित होनी हैं। ऐसे में किताबों की अनुपलब्धता का सीधा असर उनकी तैयारी पर पड़ रहा है। बिना किताबों के छात्र कैसे अपनी परीक्षाओं की तैयारी करेंगे, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।

सरकार ने दी निजी स्कूलों को 7 दिन की राहत
इन सभी परेशानियों के बीच, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने निजी स्कूलों की समस्याओं को गंभीरता से लिया है और उन्हें थोड़ी राहत दी है। उन्होंने निर्देश दिया है कि सभी निजी विद्यालय अपनी आवश्यकता के अनुसार जिलेवार किताबें डिपो से प्राप्त करें और 7 दिनों के भीतर अपने स्कूल में बारकोड स्कैनिंग की प्रक्रिया पूरी करें।

यह नई व्यवस्था निश्चित रूप से पारदर्शिता बढ़ाएगी, लेकिन फिलहाल किताबों की देरी से छात्रों की पढ़ाई और उनके शैक्षणिक भविष्य पर गंभीर असर पड़ रहा है, जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। क्या यह मोहलत छात्रों की समस्याओं का समाधान कर पाएगी, यह देखना बाकी है।

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