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छत्तीसगढ़: जनसंपर्क विभाग द्वारा विज्ञापनों पर ₹332 करोड़ से अधिक का खर्च – एक विश्लेषण

मार्च 2025 में विधानसभा में प्रस्तुत एक रिपोर्ट ने छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग (DPR) द्वारा दिसंबर 2023 से जनवरी 2025 के बीच विज्ञापनों पर किए गए खर्च को उजागर किया है। आंकड़ों के अनुसार, इस 14 महीने की अवधि में विभाग ने विज्ञापन मद में ₹332 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की है, जिसने विभिन्न हलकों में बहस छेड़ दी है।
यह खर्च ऐसे समय में सामने आया है जब राज्य विभिन्न विकास परियोजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में जुटा हुआ है। जनसंपर्क विभाग का प्राथमिक कार्य सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाना है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और नागरिक जागरूक हों। हालांकि, ₹332 करोड़ से अधिक का यह भारी भरकम खर्च कई सवाल खड़े करता है।
खर्च की प्रकृति और औचित्य:
यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह राशि किन विज्ञापनों पर खर्च की गई है। क्या ये विज्ञापन केवल सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार से संबंधित थे, या इनमें अन्य प्रकार के प्रचार अभियान भी शामिल थे? क्या यह खर्च मीडिया के विभिन्न माध्यमों जैसे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और आउटडोर विज्ञापन पर समान रूप से वितरित किया गया था, या किसी एक माध्यम पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया था?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को अपने कार्यों और योजनाओं का प्रचार करना चाहिए, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक धन का उपयोग विवेकपूर्ण और प्रभावी तरीके से हो। इतनी बड़ी राशि के खर्च पर पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक है।

विपक्षी दलों द्वारा इस खर्च पर निश्चित रूप से सवाल उठाए जाएंगे, जो इसे फिजूलखर्ची या प्राथमिकता से भटकाव के रूप में देख सकते हैं। वहीं, आम जनता भी यह जानने को उत्सुक होगी कि उनके टैक्स का पैसा किस तरह खर्च किया जा रहा है और क्या यह खर्च वाकई जनहित में है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि विज्ञापनों का उद्देश्य सूचना प्रसार के साथ-साथ सरकार की छवि को भी मजबूत करना होता है। ऐसे में, यह आकलन करना आवश्यक है कि ₹332 करोड़ के इस भारी-भरकम खर्च से सरकार को अपने उद्देश्यों में कितनी सफलता मिली है और क्या यह राशि वास्तव में छत्तीसगढ़ की जनता के लिए मूल्यवान परिणाम लेकर आई है।
आगे की राह:
जनसंपर्क विभाग और सरकार को इस खर्च पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए जिसमें यह बताया जाए कि यह राशि किन-किन मदों में और किन उद्देश्यों के लिए खर्च की गई है। भविष्य में, सार्वजनिक धन के ऐसे बड़े खर्चों पर अधिक पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।

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