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कोंडागांव का हाई वोल्टेज ड्रामा! बंगाल के मजदूर हुए ‘बांग्लादेशी’, कोलकाता हाई कोर्ट तक पहुंचा हंगामा!

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में पिछले कुछ समय से एक ऐसा हंगामा मचा हुआ है, जिसने छत्तीसगढ़ से लेकर बंगाल तक की राजनीति को हिला रखा है! मामला सीधा-सादा नहीं है, बल्कि इतना उलझा हुआ है कि इसमें पुलिस, मजदूर, राजनेता और अब तो हाई कोर्ट भी कूद पड़ा है!


दंगल शुरू: जब मजदूरों पर लगी ‘बांग्लादेशी’ की मुहर!
कहानी शुरू होती है, जब पश्चिम बंगाल के नादिया जिले से आए 12 मेहनतकश मजदूर, जो शायद अपने पेट की आग बुझाने छत्तीसगढ़ पहुंचे थे, अचानक कोंडागांव पुलिस की नजर में ‘बांग्लादेशी’ बन गए! सोचिए जरा, ये मजदूर यहां वैध ठेकेदारों के ज़रिए, पूरे कागज़ात के साथ काम करने आए थे और एक झटके में उन पर घुसपैठिए होने का ठप्पा लग गया!पुलिस ने फौरन इन  को हिरासत में ले लिया. अब आप खुद सोचिए, जो लोग दो वक्त की रोटी कमाने निकले हों, उनका अचानक पुलिस थाने में बंद होना कैसा रहा होगा!


टीएमसी का तूफान: महुआ मोइत्रा ने लगाई ‘आतंकवाद’ की आग!
लेकिन पिक्चर अभी बाकी थी! जैसे ही यह खबर पश्चिम बंगाल पहुंची, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की फायरब्रांड सांसद महुआ मोइत्रा का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया! उन्होंने तो इस घटना को सीधे-सीधे “राज्य प्रायोजित आतंकवाद और अपहरण” का नाम दे डाला!
मोइत्रा मैडम ने तो यहां तक कह दिया कि ये उनके संसदीय क्षेत्र के लोग हैं, जिनके पास हर वैध दस्तावेज़ हैं, फिर भी उन्हें सताया जा रहा है! और तो और, उन्होंने कोंडागांव के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पर भी गंभीर आरोप लगाए कि एसपी साहब खुद नहीं चाहते थे कि ये बंगाली मजदूर वहां रहें. यानी, मामला सिर्फ कागज़ात का नहीं, बल्कि कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी!


पुलिस का ‘बचाव’ और मजदूरों की ‘बदसलूकी’!
अब भला पुलिस पीछे कैसे रहती! कोंडागांव के एसपी अक्षय कुमार ने तुरंत मोर्चा संभाला और मोइत्रा के आरोपों को बेबुनियाद बताया. एसपी साहब का कहना था कि ये मजदूर पिछले तीन महीनों से वहां रह रहे थे, लेकिन स्थानीय थाने को इसकी कोई खबर ही नहीं थी!
और तो और, एसपी साहब ने कहानी में एक नया ट्विस्ट डाला: जब पुलिस गश्त पर थी, तब ये मजदूर मिले. उनसे पहचान पत्र मांगे गए तो  इनके पास कुछ नहीं था और तो और, पुलिस से बदसलूकी भी कर बैठे! अब पुलिस ने क्या किया? सीधे एसडीएम के सामने पेश किया और एहतियातन हिरासत में ले लिया! बाद में, एसपी साहब ने कहा कि सभी मजदूरों को रिहा कर दिया गया है.


हाई कोर्ट का तमाचा और 1 लाख मुआवजे की डिमांड!
लेकिन इस पूरी कहानी का क्लाइमेक्स तो अब आया है! इस पूरे ड्रामे पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है और छत्तीसगढ़ सरकार को सीधा-सीधा नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. यानी अब सरकार को बताना होगा कि आखिर माजरा क्या था!


और सबसे बड़ा धमाका तो ये है कि जिन 12 मजदूरों को ‘बांग्लादेशी’ बताकर हिरासत में लिया गया था, अब उन्होंने अपनी इस ‘अग्निपरीक्षा’ के लिए 1 लाख रुपये मुआवजे की मांग कर डाली है!
तो देखा आपने, एक साधारण सी घटना कैसे सियासी अखाड़े और कानूनी दांव-पेंच का हिस्सा बन गई! अब देखना ये है कि हाई कोर्ट का फैसला क्या आता है और क्या इन मजदूरों को उनका मांगा हुआ मुआवजा मिल पाता है या नहीं! कहानी अभी खत्म नहीं हुई है, बने रहिए हमारे साथ!

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