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अंतर्राष्ट्रीय ठग अभिषेक अग्रवाल गिरफ्तार, जिसके नाम दर्ज हैं कई गुनाह!


एक नाम जो आजकल भारतीय साइबर अपराध के गलियारों में गूँज रहा है, वह है अभिषेक अग्रवाल। उत्तराखंड एसटीएफ ने इसे दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से धर दबोचा है। लेकिन यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि ₹750 करोड़ से ज़्यादा के एक ऐसे साइबर घोटाले का पर्दाफ़ाश है, जिसकी जड़ें भारत से लेकर चीन तक फैली हुई हैं।

आरोपी अभिषेक अग्रवाल

चीन से कनेक्शन और फर्जी लोन ऐप्स का मायाजाल
अभिषेक अग्रवाल पर चीनी नागरिकों के साथ मिलकर एक ऐसा जाल बुनने का आरोप है, जिसमें सैंकड़ों-हज़ारों लोग फँसते चले गए। ये फर्जी लोन ऐप्स ऐसे थे जो लोगों को तुरंत कर्ज़ का लालच देते थे, लेकिन एक बार इंस्टॉल होने के बाद, वे यूज़र्स के फ़ोन से कॉन्टैक्ट, गैलरी और अन्य निजी डेटा तक एक्सेस कर लेते थे। इसके बाद शुरू होता था ब्लैकमेलिंग का खेल। जो लोग इन ऐप्स के चक्कर में पड़े, उन्हें धमकियाँ मिलती थीं, उनकी निजी तस्वीरें एडिट करके फैलाई जाती थीं और इतना ज़्यादा ब्याज वसूला जाता था कि लोग ज़िंदगी भर के लिए कर्ज़ में डूब जाते थे।

जाँच में सामने आया है कि इस हाई-टेक ठगी को अंजाम देने के लिए अभिषेक ने लगभग 35-40 शैल कंपनियाँ बनाईं। इनमें से 13 उसके नाम पर और 28 उसकी पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड थीं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन कंपनियों में कई चीनी नागरिक सह-निदेशक के तौर पर शामिल थे। 2019-20 में, अभिषेक खुद चीन गया था ताकि अपने चीनी साथियों के साथ मिलकर इस महा-घोटाले का पूरा खाका तैयार कर सके।

फर्जी जज से लेकर रेल नीर घोटाले तक: अभिषेक का आपराधिक ‘बायोडाटा’
अभिषेक अग्रवाल सिर्फ साइबर ठगी तक ही सीमित नहीं है। उसका आपराधिक इतिहास इतना लंबा है कि सुनकर आप चौंक जाएँगे:

  • फर्जी जज का स्वाँग: अक्टूबर 2022 में, अभिषेक ने बिहार में एक फर्जी चीफ जस्टिस बनकर डीजीपी को फोन किया था! मामला एक आईपीएस अधिकारी को बचाने का था। यह घटना उसकी हैरतअंगेज़ चालबाज़ियों का सबूत है।
  • रेल नीर घोटाला (2015): उसे 2015 में “रेल नीर” घोटाले के संबंध में भी गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि उसने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध तरीके से पैसा कमाया था।
  • अन्य राज्यों में भी दर्ज हैं मुकदमे: अभिषेक अग्रवाल के खिलाफ देश के कई राज्यों में धोखाधड़ी और जालसाज़ी के मामले दर्ज हैं।

अभिषेक अग्रवाल की यह गिरफ्तारी दर्शाती है कि यह शख्स सिर्फ एक साइबर अपराधी नहीं, बल्कि एक शातिर दिमाग वाला मास्टरमाइंड है, जो हर तरह के फर्जीवाड़े में माहिर है। यह कहानी बताती है कि कैसे कुछ लोग तकनीक का इस्तेमाल लोगों को लूटने के लिए करते हैं, और हमें हमेशा ऐसे जालसाज़ों से सतर्क रहने की ज़रूरत है।

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