सेहत

“योग दिवस: पेट की चर्बी और सरकारी जिम्मेदारी”

21 जून आते ही देशभर में एक अजीब सी हलचल शुरू हो जाती है। ऑफिस के वो सहकर्मी जो साल में 364 दिन लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं, आज सीढ़ियों से चढ़ने का संकल्प लेते हैं। स्कूल के बच्चे जो PT पीरियड में फुटबॉल खेलने भाग जाते थे, आज ध्यानमुद्रा में बैठे “ओम” का उच्चारण कर रहे होते हैं। और सबसे बड़ी बात—जिन्होंने कभी योग मैट पर पैर नहीं रखा, वे आज सोशल मीडिया पर #YogaDay की स्टोरीज पोस्ट करके खुद को योगी बाबा साबित कर रहे होते हैं!हम आपको बताते हैं योग से जुड़ी मजेदार और दिलचस्प बातें

योग का शाब्दिक अर्थ है “जोड़ना” या “मिलाना”। यह संस्कृत शब्द “युज्” धातु से बना है, जिसका मतलब होता है एकत्रित होना, समाधि लगाना या शरीर, मन और आत्मा को सुव्यवस्थित करना।

योग के तीन मुख्य अर्थ:

  1. शरीर और मन का संतुलन – आसन, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से स्वस्थ जीवनशैली।
  2. आत्मा का परमात्मा से मिलन – आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान की प्रक्रिया।
  3. कर्म और जीवन में समरसता – भगवद्गीता के अनुसार, “योग: कर्मसु कौशलम्” (कुशलता पूर्वक कर्म करना ही योग है)।

सरकारी योग: जहां ‘ध्यान’ का मतलब है ‘झपकी’

सरकारी दफ्तरों में योग दिवस का अलग ही मजा है। कर्मचारी सुबह 8 बजे योग करने पहुँचते हैं, पर उनका शरीर अभी भी रात के खाने को पचा रहा होता है। बॉस साहब “ताड़ासन” करते हुए नींद में खर्राटे लेने लगते हैं, और जूनियर स्टाफ “वृक्षासन” की बजाय “फेसबुक-आसन” में माहिर होता है। पर फिर भी, सबके पास एक बात कॉमन होती है—योग सेशन के बाद की “हेल्दी नाश्ता” जिसमें समोसे और चाय की भरमार होती है!

गली-मोहल्ले का योग: जहां ‘कपालभारति’ का मतलब है ‘गप्पें मारना’

आम जनता के लिए योग दिवस का मतलब है—एक दिन के लिए पड़ोसी अंकल को योग मास्टर समझ लेना। वो जो सालभर सिगरेट पीते रहते हैं, आज वही लोग “प्राणायाम” सिखा रहे होते हैं। और जो आंटीज रोज़ सास-बहू सीरियल के  टाइमपास करती हैं, आज वो सुबह 5 बजे उठकर “सूर्य नमस्कार” कर रही होती हैं… कैमरा ऑन करके!

योग गुरुओं का बढ़ता बिज़नेस

योग दिवस के बाद सबसे ज्यादा फायदा किसका होता है? योग गुरुओं का! जो साल में 364 दिन गायब रहते हैं, सिर्फ 21 जून को ही दिखाई देते हैं। उनके यूट्यूब चैनल पर “7 दिन में फ्लैट टमी” वाले वीडियोज की भरमार हो जाती है। और लोग? वो शेयर करके भूल जाते हैं… क्योंकि अगले दिन से वापस बर्गर और कोल्ड ड्रिंक्स की दुनिया में लौट आते हैं।

निष्कर्ष: योग दिवस या ‘फोटो-शूट’ दिवस?

योग दिवस की सच्चाई यही है कि ये एक दिन का ट्रेंड बनकर रह गया है। लोग योग नहीं करते, योग के साथ फोटो खिंचवाते हैं। अगर सच में योग को अपनाना है, तो इसे साल के 365 दिन करिए… न कि सिर्फ एक दिन सोशल मीडिया पर दिखावे के लिए!


(सटायर का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक सच्चाई को उजागर करना है। योग एक गंभीर विषय है, पर कभी-कभी हल्के-फुल्के अंदाज़ में भी सीख मिल जाती है!)

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