जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व आज से होगा शुरू, 75 दिनों तक चलेगा उत्सव!
जगदलपुर,
बस्तर का विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक दशहरा पर्व कल (गुरुवार) हरेली अमावस्या के शुभ अवसर पर पाट जात्रा पूजा विधान के साथ शुरू होने जा रहा है! बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में होने वाले इस पावन आयोजन के साथ ही 75 दिनों तक चलने वाले इस अनूठे और भव्य उत्सव का आगाज होगा।

यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपराओं, आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम है, जो पूरे बस्तर को एक नई ऊर्जा से भर देता है। हर साल की तरह, इस बार भी देश-विदेश से हज़ारों पर्यटकों और शोधार्थियों के बस्तर पहुंचने की उम्मीद है, जो इस अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत के साक्षी बनेंगे।

परंपराओं का अनोखा संगम: पाट जात्रा से रथ निर्माण तक :-
पाट जात्रा पूजा विधान के दौरान, पारंपरिक मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन, पुजारी, पटेल, नाईक-पाईक और सेवादार एक विशेष रस्म अदा करेंगे, जिसे ठुरलू खोटला कहते हैं। इस रस्म में वे भव्य रथ के निर्माण के लिए औजार बनाते हैं। यह दिखाता है कि कैसे हर वर्ग और समुदाय इस उत्सव का अभिन्न अंग है। बस्तर दशहरा समिति ने सभी गणमान्य नागरिकों और ग्रामीणों से इस शुभ अवसर पर उपस्थित होकर पाट जात्रा पूजा विधान में शामिल होने का आग्रह किया है।
75 दिनों का भव्य अनुष्ठान: देखें पूरे पर्व का विस्तृत कार्यक्रम :-
पाट जात्रा पूजा विधान के साथ शुरू होकर, यह 75 दिवसीय ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व कई महत्वपूर्ण अनुष्ठानों और पूजा विधानों के साथ मनाया जाएगा। यहाँ उत्सव की प्रमुख तिथियां दी गई हैं, ताकि आप इस अनूठे अनुभव का हिस्सा बन सकें:
- शुक्रवार, 05 सितंबर: डेरी गड़ाई पूजा विधान
- रविवार, 21 सितंबर: काछनगादी पूजा विधान
- सोमवार, 22 सितंबर: कलश स्थापना पूजा विधान
- मंगलवार, 23 सितंबर: जोगी बिठाई पूजा विधान
- बुधवार, 24 सितंबर से सोमवार, 29 सितंबर 2025 तक: प्रतिदिन नवरात्रि पूजा एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान
- सोमवार, 29 सितंबर (सुबह 11 बजे): बेल पूजा
- मंगलवार, 30 सितंबर: महाअष्टमी पूजा विधान एवं निशा जात्रा पूजा विधान
- बुधवार, 01 अक्टूबर: कुंवारी पूजा विधान, जोगी उठाई पूजा विधान एवं मावली परघाव
- गुरुवार, 02 अक्टूबर: भीतर रैनी पूजा विधान एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान
- शुक्रवार, 03 अक्टूबर: बाहर रैनी पूजा विधान एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान
- शनिवार, 04 अक्टूबर (सुबह): काछन जात्रा पूजा विधान के पश्चात दोपहर में मुरिया दरबार का आयोजन
- रविवार, 05 अक्टूबर: कुटुम्ब जात्रा पूजा विधान में ग्राम्य देवी-देवताओं की विदाई
- मंगलवार, 07 अक्टूबर: मावली माता की डोली की विदाई पूजा विधान के साथ ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व सम्पन्न होगा।
यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रदर्शन है। इस दौरान आप पारंपरिक नृत्यों, संगीत और अद्वितीय रीति-रिवाजों का अनुभव कर सकते हैं। विदेशी सैलानियों के लिए यह एक ऐसा अवसर होता है जब वे भारत के हृदय स्थल में स्थित एक अनूठी आदिवासी संस्कृति और परंपरा को करीब से देख पाते हैं। इस पर्व की भव्यता और पारंपरिक रस्में उन्हें एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती हैं।