
छत्तीसगढ़ में डिजिटल क्रांति की बातें जोर-शोर से होती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट हो या अन्य सरकारी पोर्टल्स, अक्सर ये डाउन पाए जाते हैं। जब भी किसी जानकारी की तत्काल आवश्यकता होती है, ये वेबसाइटें निष्क्रिय होकर बैठ जाती हैं, जिससे आम जनता और हितग्राहियों को भारी परेशानी होती है। यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब हम सरकारी वेबसाइटों के रखरखाव और निर्माण पर खर्च होने वाले करोड़ों के बजट पर गौर करते हैं।
सवाल उठता है कि आखिर इतना बड़ा बजट खर्च होने के बावजूद, सरकारी वेबसाइटें इतनी लचर क्यों हैं? विशेषज्ञ बताते हैं कि जितना खर्च इन वेबसाइटों पर दिखाया जाता है, उसके 25%हिस्से में भी इन्हें बेहतर तरीके से चलाया जा सकता है। तो फिर कमी कहाँ रह जा रही है? क्या यह सिर्फ तकनीकी खामी है, या इसके पीछे भ्रष्टाचार का कोई बड़ा खेल चल रहा है?
यह समझना मुश्किल नहीं है कि जब भी कोई सरकारी वेबसाइट घंटों या दिनों तक डाउन रहती है, तो इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। योजनाओं की जानकारी से लेकर विभिन्न सेवाओं तक, सब कुछ ठप पड़ जाता है। इस डिजिटल युग में जहां हर काम ऑनलाइन माध्यम से हो रहा है, वहां सरकारी वेबसाइटों का यह हाल सरकारी कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठाता है।
यह सिर्फ एक तकनीकी समस्या नहीं है, बल्कि यह करदाताओं के पैसे का सीधा दुरुपयोग है। जब सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये वेबसाइटों के निर्माण और रखरखाव के नाम पर खर्च किए जाते हैं, और बदले में हमें अनुपलब्ध या धीमी गति से चलने वाली वेबसाइटें मिलती हैं, तो यह सीधे तौर पर जवाबदेही की कमी और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
जरूरत इस बात की है कि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान दे। सिर्फ बजट आवंटन से काम नहीं चलेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करना होगा कि आवंटित धन का सही इस्तेमाल हो। वेबसाइटों की गुणवत्ता, स्पीड और उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। अन्यथा, छत्तीसगढ़ में डिजिटल क्रांति की बातें सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाएंगी और आम जनता डिजिटल असुविधा का शिकार होती रहेगी।
छत्तीसगढ़ की सरकारी वेबसाइटों पर होने वाले खर्च का विस्तृत और खंडित विवरण सार्वजनिक रूप से आसानी से उपलब्ध नहीं होता है। हालांकि, बजट भाषणों और कुछ सरकारी दस्तावेज़ों से आईटी और डिजिटल तकनीकों से संबंधित कुल आवंटन का कुछ अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
यहाँ कुछ मुख्य बातें हैं जो छत्तीसगढ़ सरकार के बजट में डिजिटल और आईटी संबंधित खर्चों को दर्शाती हैं:
* आईटी इनेबल्ड सेवाओं के लिए बजट: हाल के बजट (जैसे 2024-25) में, सभी प्रशासनिक विभागों के लिए राज्य मुख्यालय से ग्राम पंचायत स्तर तक उन्नत डिजिटल तकनीकों और आईटी इनेबल्ड सेवाओं (ITES) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ₹266 करोड़ का प्रावधान किया गया था। यह राशि विभिन्न सरकारी वेबसाइटों, पोर्टल्स और अन्य डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, अपग्रेडेशन और रखरखाव पर खर्च की जाती है।
* अटल मॉनिटरिंग पोर्टल: सरकार ने योजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए ‘अटल मॉनिटरिंग पोर्टल’ शुरू किया है, जिसके लिए बजट में ₹10 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह भी एक प्रकार की सरकारी वेबसाइट/पोर्टल है।
* न्यायालयों का कंप्यूटरीकरण: न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए न्यायालयों के कंप्यूटरीकरण के लिए ₹37 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
* डिजिटल क्रॉप सर्वे और भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण: कृषि क्षेत्र में डिजिटल सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल क्रॉप सर्वे के लिए ₹40 करोड़ और ई-धरती योजना के तहत भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण के लिए ₹48 करोड़ का प्रावधान किया गया है।