
क्या आपने कभी सोचा है कि एक डॉक्टर की ज़िंदगी कैसी होती है? 24 घंटे की शिफ्ट, अनगिनत मरीज और हर पल एक नई चुनौती। यह कोई फ़िल्मी कहानी नहीं, बल्कि हमारे डॉक्टर्स की रोज़मर्रा की हकीकत है। आंकड़े चौंकाने वाले हैं: एक रिपोर्ट के अनुसार, 82.7% डॉक्टर्स लंबे समय तक तनाव में रहते हैं, वहीं 60% से अधिक रेजिडेंट डॉक्टर्स प्रतिदिन 12-16 घंटे काम करते हैं।भूख, नींद और थकान—ये सब उनकी ड्यूटी का हिस्सा बन चुके हैं।
लेकिन उनका संघर्ष सिर्फ काम के घंटों तक सीमित नहीं है। आज के दौर में, उन्हें ‘गूगल डॉक्टर’ से भी जूझना पड़ता है, जब मरीज इलाज से पहले इंटरनेट पर अपने लक्षणों की ‘जांच’ कर लेते हैं। एक अध्ययन बताता है कि 70% मरीज ऐसा करते हैं, जिससे डॉक्टर्स के लिए सही निदान देना और भी मुश्किल हो जाता है।
इस विशेष दिन पर, हम डॉ. बिधान चंद्र रॉय के असाधारण जीवन को याद करते हैं। वे न सिर्फ महात्मा गांधी के निजी चिकित्सक रहे, बल्कि पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री बनकर राज्य के विकास में भी अहम योगदान दिया। क्या आप जानते हैं, लंदन के अस्पतालों ने उन्हें 30 बार रिजेक्ट किया था? लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और MRCP व FRCS जैसी प्रतिष्ठित डिग्रियां हासिल कीं।उनका जीवन सचमुच “हार मत मानो” का एक जीता-जागता उदाहरण है।
कोविड-19: अदृश्य दुश्मन से डॉक्टरों का ‘युद्ध’
हमने हाल ही में डॉक्टर्स के संघर्ष का सबसे बड़ा उदाहरण कोविड-19 महामारी के दौरान देखा।जब दुनिया घरों में कैद थी, तब ये फ्रंटलाइन वॉरियर्स 12-16 घंटे PPE किट में पसीने में तरबतर होकर मरीजों की जान बचा रहे थे।परिवार से दूर, अपनी जान जोखिम में डालकर, उन्होंने मानवता की सच्ची सेवा की।डॉक्टर बनना सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी है—खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना और 24×7 इमरजेंसी सेवाएं देना।
हर साल 1 जुलाई को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस इस बार भी एक खास मायने रखता है। यह दिन सिर्फ डॉ. बिधान चंद्र रॉय—एक महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री—को श्रद्धांजलि देने का ही नहीं, बल्कि उन सभी डॉक्टर्स के प्रति आभार व्यक्त करने का भी है जो हमारी जिंदगी को बचाने और बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास करते हैं। इस अवसर पर, आइए हम उन सफ़ेद कोट वाले ‘सुपरहीरो’ के समर्पण, संघर्ष और मानवता की मिसाल को करीब से जानें।
कैसे कहें ‘शुक्रिया’?
इस राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर, आइए हम सभी इन ‘रियल हीरोज’ के प्रति अपना आभार व्यक्त करें।आप सोशल मीडिया पर #ThankYouDoctors टैग कर सकते हैं, अपने डॉक्टर को एक छोटा सा थैंक्यू नोट भेज सकते हैं, या सबसे महत्वपूर्ण—’गूगल डॉक्टर’ बनने की बजाय, अपने असली डॉक्टर की सलाह मानें!
डॉक्टर्स सिर्फ बीमारियों को ठीक नहीं करते, वे आशा, विश्वास और नया जीवन देते हैं। इस राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर, आइए हम उनके समर्पण, संघर्ष और मानवता की मिसाल को सलाम करें!
हैप्पी डॉक्टर्स डे!
